Manipur: कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते?

Photo of author

By jeenmediaa


Manipur:  मणिपुर में इस बेहद शर्मनाक, भयावह और मानव सभ्‍यता को विचलित कर देने वाली नंगी सच्‍चाई को देखकर हर इंसान के जेहन में बस यही एक ख्‍याल आता है, जिसे शायर इरतिज़ा निशात ने अपनी दो पंक्‍तियों से बखूबी बयान किया है। उन्‍होंने लिखा है—

कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते?

महज चार दिन पहले भारत ने चांद पर चंद्रयान भेजा है। देश की ये उपलब्‍धि अर्श को छूने की गवाही देती है। लेकिन मणिपुर की धरती पर वस्‍त्रहीन कर जगत की जननी कही जाने वाली दो-तीन महिलाओं को जिस तरह से एक घातक और घिनोने तमाशे में तब्‍दिल कर दिया गया, उस अ-मानवीय कृत्‍य के सामने तो इस देश के सारे विकास और उपलब्‍धियों पर शंका हो रही है। मणिपुर का ये दाग कहीं ज्‍यादा दागदार और इंसान के दिमाग की सबसे खराब बू की तरह है।

Manipur

ये कलंक है। ये एक ऐसी कालिख है जो हर उस आदमी के माथे पर पोत दी गई है जो खुद को इंसान कहता और मानता है। यह दाग हिंदुस्‍तान में रहने वाले हर आदमी के लिए एक जीता-जागता अभिशाप है।

मणिपुर में घटित जो दृश्‍य अब पूरे सोशल मीडिया और पूरी दुनिया की मीडिया में आंखें झुकाकर देखा जा रहा है, उसे देखकर लगता है कि ‘मनुष्य होना, अभी भी भविष्य की एक कल्पना है’

इस कृत्‍य के लिए न सिर्फ मणिपुर की वो कुछ अराजक और अ-मानवीयता में बदल गए लोगों की भीड़ जिम्‍मेदार है, बल्‍कि इस देश की राजधानी में सिरमोर बनकर बैठी केंद्र सरकार और मणिपुर की एन बिरेन सिंह की सरकार भी उतनी ही जिम्‍मेदार है।

हिंदुस्‍तान में औरत को देवी मानकर पूजने वाले समाज में किसी को नंगा करना जितना बड़ा अपराध है, उतना ही बड़ा पाप किसी औरत को सरेआम नंगा होते हुए देखना भी है। उतना ही बड़ा पाप समाज में ऐसी स्‍थितियां पैदा हो जाने देना भी है।

समाज में सहमति और असहमति के बीच छिट-पुट हिंसा और नाराजगी कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि हमारी आंखों के सामने मणिपुर उस हालत में कैसे पहुंच गया कि एक समाज का वर्ग दूसरे समाज की दो महिलाओं को सरेआम नंगा कर दें। उनके प्राइवेट पार्ट में हाथ डाल दें। एक भीड़ उनका बलात्‍कार कर दें और दूसरी भीड़ इस बर्बाद हो चुकी इंसानी बर्बरता और मानसिकता का वीडियो बनाकर औरत को एक तमाशे में तब्‍दिल कर डाले।

आखिर कानून व्‍यवस्‍था किस के हाथ में थी? आखिर मणिपुर पर आंखें किसने मूंदी? कान किसने बंद किए? आखिर मणिपुर को राजनीति का शिकार किसने होने दिया? आखिर मणिपुर के लिए केंद्र और राज्‍य सरकार अब किसे दोष देगी?

भाजपा शासित सरकार के मुखिया एन बिरेन सिंह दो समुदायों के बीच पसरी हिंसा को नियंत्रित क्‍यों नहीं कर पाए? उनकी बर्खास्‍तगी पर पॉलिटिकल ड्रामा क्‍यों हुआ? अगर एन बिरेन सिंह मणिपुर के इतने ही लोकप्रिय सीएम हैं तो वे कुकी और मेतई समाज के बीच की हिंसा को क्‍यों नहीं रोक पाए?

अगर यह सब भी नहीं कर सके तो आपके अपने ही राज्‍य में लोग उस मानसिकता तक कैसे पहुंच गए कि दो महिलाओं के बदन से कपड़ों का तार-तार खींचकर उन्‍हें नंगा कर दें और उसका बेखौफ वीडियो बना लें।

इस पर भी असंवेदनशीलता की पराकाष्‍ठा ये कि साफ-साफ नजर आने के बावजूद आरोपियों को अज्ञात बताकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए?

ऐसी कानून-व्‍यवस्‍था पर तो बस यही कहा जा सकता है—सबसे ख़तरनाक होता है, मुर्दा शांति से भर जाना  पाश 


Leave a Comment